Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -17-Oct-2022..नवरात्रि

हैलो.... नमस्ते आंटी.... दृष्टि हैं....! 


नहीं बेटा वो तो किसी काम से बाहर गई हैं...। कुछ काम था..! 

आंटी वो उसको चनिया चोली बोली थी.... आपको कुछ पता हैं....! 

अच्छा.... हां.. हां.... सारी बेटा मैं भूल गई थी....। वो रखकर गई हैं...। 

ओके आंटी.... मैं मेरे छोटे भाई को भेज रही हूँ.. उनके हाथों भिजवा दिजिएगा ना..! 

हां.... ठीक हैं बेटा...। 

ओके आंटी बाय....। 

फोन रखते ही कुसुम ने अपने भाई को अपने पड़ौस में रहने वाली अपनी सहेली दृष्टि के घर भेजा चनिया चोली लेने के लिए...। 

वही दूसरे किसी घर में... अरे यार मुझको तो समझ ही नहीं आ रहा.... कौनसी वाली पहनु आज.... तु बता ना यार...। 
पीली वाली सबसे ज्यादा अच्छी लग रहीं हैं मुझे तो....। 
मुझे भी लेकिन ये लास्ट दिन पर पहननी हैं...। 

स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे हो या कालेज में.. घर में काम करने वाली हाऊस वाईफ हो आफिस में काम करने वाली वर्किंग मदर..। 
अध्यापिका हो या बिजनेस वूमन... नवरात्रि के आखिरी दिनों में यह चर्चा आपको गुजरात के हर घर में सुनने को मिलेगी... ओर हो भी क्यूँ ना.... आखिर कार नवरात्रि का त्यौहार जो हैं..। गुजरात में मनाया जाने वाला बहुप्रचलित त्यौहार... नवरात्रि...। 
मतलब नौ रातें.... हर रात एक माता के नाम...। इन नौ दिनों का हर गुजराती बेसब्री से इंतजार करता हैं...। सिर्फ महिला वर्ग ही नहीं बल्कि पुरुष वर्ग भी इन नौ दिनों में अपनी थकान...अपनी परेशानी... अपनी रोजमर्रा की उलझनों को दरकिनार कर नवरात्रि का भरपूर मजा लेते हैं....।
शैलपुत्री
ब्रह्मचारिणी
चन्द्रघंटा
कूष्माण्डा
स्कंदमाता
कात्यायनी
कालरात्रि
महागौरी
सिद्धीदात्री

देवी माँ के ये नौ रुप नवरात्रि में पूजे जाते हैं...। हर दिन माँ की आरती से रात्रि की शुरुआत होती हैं और उसके बाद गरबे का आयोजन किया जाता है...। 
गरबा एक तरह का पारंपरिक नृत्य हैं गुजरात का...। 
असल में गरबा का मतलब होता हैं गर्भ दीप... । गर्भ दिप को स्त्री के गर्भ की सृजन शक्ति का प्रतीक माना जाता हैं। इसी शक्ति की माँ दुर्गा के स्वरूप में पूजा की जाती हैं...। नवरात्रि के पहले दिन एक मटकी(मिट्टी का घड़ा) में बहुत से छेद किए जाते हैं और फिर उसमें दिप प्रज्ज्वलित करके रखा जाता हैं...। उन छिद्रों में से निकलने वाली जोत उर्जा का प्रतीक माना जाता हैं...। 
गुजरात के हर छेत्र में.. हर शहर में.. शहर की हर कालोनी... हर गली में इस दिन गरबे किए जाते हैं...। 
बच्चे हो या बूढ़े ये नौ दिन उनके लिए सबसे बड़ा त्यौहार होता हैं... जिसके लिए प्लानिंग करना तो जायज हैं...। 
बाजारों में भी इन नौ दिनों में रोनक छा जाती हैं... माता की चुनरी और पूजा के सामान के अलावा सौंदर्य प्रसाधन की खुब ब्रिकी होतीं हैं...। जहाँ एक तरफ़ महिलाओं का खास परिधान चनिया चोली होता हैं वहीं पुरुष भी एक खास तरह का वस्त्र पहनते हैं जिसे केड़ियू कहा जाता हैं... ये एक तरह का कुर्ता होता हैं जिस पर ऊन से कशीदाकारी की होती हैं...। सीप और मोतियों से सजावट की होती हैं...। केड़ियू के अलावा फेंटो भी पहना जाता हैं जो एक तरह से पगड़ी का ही रुप होती हैं..। गरबा , डांडिया और रासलीला का आयोजन पूरी रात किया जाता हैं...। माँ की आरती से ही उसका समापन किया जाता हैं और अगली रात पुनः वहीं क्रम होता हैं...। पूरे नौ दिनों तक ये लगातार चलता रहता हैं..। दसवें दिन रात्रि में माँ को विदाई दी जाती हैं... माँ की विदाई पूजा की जाती हैं.. आरती की जाती हैं अंतिम बार कुछ देर के नाचगाना और गरबा होता हैं उसके बाद सभी मिलकर दिप प्रज्ज्वलित की हुई मटकी को अपने सिर पर बारी बारी से रखकर उसे पधराने (विसर्जीत करने) जाते हैं...। 
उस मटकी को माता के किसी मंदिर या फिर बहते पानी में पधराया जाता हैं...। उस रास्ते को मुख्यतः पैदल ही पार किया जाता हैं...। 
माँ की विदाई और मटकी के विसर्जन के साथ ही नवरात्रि के त्योहार का समापन होता हैं....। लेकिन अगले वर्ष उसी उल्लास और जोश से नवरात्रि फिर से मनाई जाती हैं..। आखिर गुजराती हैं.... नाच गाना तो उनकी रग रग में बसता हैं... ।☺



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7 Comments

Vedshree

04-Dec-2022 07:50 PM

Nice

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Gunjan Kamal

17-Nov-2022 02:06 PM

शानदार

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Palak chopra

15-Nov-2022 02:00 PM

Shandar 🌸

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